सवानेह हयात
गौसुलआलम हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) दादा मियाँ सरकार ,चिश्ती निजामी फखरी सुलेमानी ।
नाम – आप का नाम हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) हैं ।
खानदान- आप सय्यद हैं
वतन – आप उत्तर भारत के एक शहर अम्बेठा के रहने वाले हैं , बाद मैं आप अम्बेठा से जबलपुर आगए, जबलपुर आने के बाद हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) ने मोती नाला मैं कयाम फ़रमाया , यहाँ पर आप ने लोगों को वअज व नसीहत की और राहे हिदायत की दावत दी और नमाज़ पड़ने की तलकीन की , लोग आप की बातों से बहुत मुताअस्सिर हुए और इस तरह आपके मुरीदों और मानने वालो का एक अच्छा खासा हलकाह बन गया ।
सुलेमानी मस्जिद की तामीर – आप ने कुछ समय बाद मोती नाला में जमीन खरीदी उस जमीन पर आप ने सुन्नते रसूल(सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ) की पैरवी करते हुए एक मस्जिद बनवाई और उसे आपने अपने पीरो मुर्शिद हज़रत ख्वाजा सुलेमान तौंसवी (रजी.) के नाम से मंसूब कर दिया, मस्जिद से मिली हुई जमीन पर एक रेहाइशी मकान भी बनवाया ।
करामत – एक बार का जिक्र हैं की आप हजामत बनवा रहे थे , हजामत बनाने वाले नाई का लड़का गुम हो गया था , वह हजामत बनाता रहा और रो रो कर अपने लड़के की गुमशुदगी के बारे में बताता रहा खुदा का ऐसा करम हुआ कि अभी हजामत भी नहीं बन पाई थी कि उस का लड़का दुकान पर आ गया वह बहुत खुश हुआ और लड़के से पूछा कि तू अचानक कैसे आ गया हम लोगों ने तेरी बहुत तलाश कि मगर कोई पता नहीं चला तो लड़के ने जवाब दिया कि यह बाबा जो बैठे हैं यही तो मुझ को ले आए हैं ।
सरकार से ऐसी हजारों करामातें जबलपुर मैं जाहीर हुई , कितनी बाँझ औरतें आप कि दुआ से औलाद वाली हो गईं , जो कोई आप से कुछ मांगता आप उसे जरुर अता करते ।
विसाल – हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) दादा मियाँ सरकार का विसाल 18 मुहर्रम 1321 हिजरी को हुआ
खलीफा – (1) कुतबे अब्दाल हज़रत सय्यद हाफिज़ गुलाम मुहयुद्दीन(रजी.) आप हज़रत के साहबजादे हैं (2)कुतबुल आक़ताब हज़रत सय्यद हाफिज़ अब्दुल मजीद शाह (रजी.) आप हज़रत के सगे भतीजे हैं (3) शैखुल मशायख हज़रत सय्यद बादशाह मियाँ हलोली (रजी.) गुजरात के एक शहर हलोल के आप मशहूर वली हैं हलोल मैं आप की दरगाह हैं ।
सज्जादानशीन- आप के बाद आपकी मसनद पर आपके साहबजादे बैठे उनका जल्दी विसाल हो गया फिर उन के बाद हज़रत के भतीजे आपकी मसनद पर बैठे उन के विसाल के बाद उन के साहबजादे कुतबे आलम हज़रत सय्यद महमुदुल हसन बादशाह मियाँ सरकार (रजी.) आप की मसनद पर बैठे आप से हजारों करामातें जाहिर हुई जिनको देखने वाले लोग आज भी जिन्दा हैं आप का विसाल आज से 26 साल पहले हुआ आप की दरगाह जोबट जिला झाबुआ मैं हैं
हज़रत का सिलसिला – आप का सिलसिला चिश्तिया निज़मिया फखरिया सुलेमानिया हैं आप के पीरो मुर्शिद का नाम गौसुल आलम हज़रत सय्यदना ख्वाजा सुलेमान तौंसवी (रजी.) हैं ,जो अपने दौर के गौस थे , आपको आपके पीरो मुर्शिद से चिश्तिया सिलसिले के साथ साथ कादरिया सिलसिले की भी खिलाफत हैं ।
गौसुलआलम हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) दादा मियाँ सरकार ,चिश्ती निजामी फखरी सुलेमानी ।
नाम – आप का नाम हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) हैं ।
खानदान- आप सय्यद हैं
वतन – आप उत्तर भारत के एक शहर अम्बेठा के रहने वाले हैं , बाद मैं आप अम्बेठा से जबलपुर आगए, जबलपुर आने के बाद हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) ने मोती नाला मैं कयाम फ़रमाया , यहाँ पर आप ने लोगों को वअज व नसीहत की और राहे हिदायत की दावत दी और नमाज़ पड़ने की तलकीन की , लोग आप की बातों से बहुत मुताअस्सिर हुए और इस तरह आपके मुरीदों और मानने वालो का एक अच्छा खासा हलकाह बन गया ।
सुलेमानी मस्जिद की तामीर – आप ने कुछ समय बाद मोती नाला में जमीन खरीदी उस जमीन पर आप ने सुन्नते रसूल(सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ) की पैरवी करते हुए एक मस्जिद बनवाई और उसे आपने अपने पीरो मुर्शिद हज़रत ख्वाजा सुलेमान तौंसवी (रजी.) के नाम से मंसूब कर दिया, मस्जिद से मिली हुई जमीन पर एक रेहाइशी मकान भी बनवाया ।
करामत – एक बार का जिक्र हैं की आप हजामत बनवा रहे थे , हजामत बनाने वाले नाई का लड़का गुम हो गया था , वह हजामत बनाता रहा और रो रो कर अपने लड़के की गुमशुदगी के बारे में बताता रहा खुदा का ऐसा करम हुआ कि अभी हजामत भी नहीं बन पाई थी कि उस का लड़का दुकान पर आ गया वह बहुत खुश हुआ और लड़के से पूछा कि तू अचानक कैसे आ गया हम लोगों ने तेरी बहुत तलाश कि मगर कोई पता नहीं चला तो लड़के ने जवाब दिया कि यह बाबा जो बैठे हैं यही तो मुझ को ले आए हैं ।
सरकार से ऐसी हजारों करामातें जबलपुर मैं जाहीर हुई , कितनी बाँझ औरतें आप कि दुआ से औलाद वाली हो गईं , जो कोई आप से कुछ मांगता आप उसे जरुर अता करते ।
विसाल – हज़रत सय्यद हाफिज़ बहादुर अली शाह (रजी.) दादा मियाँ सरकार का विसाल 18 मुहर्रम 1321 हिजरी को हुआ
खलीफा – (1) कुतबे अब्दाल हज़रत सय्यद हाफिज़ गुलाम मुहयुद्दीन(रजी.) आप हज़रत के साहबजादे हैं (2)कुतबुल आक़ताब हज़रत सय्यद हाफिज़ अब्दुल मजीद शाह (रजी.) आप हज़रत के सगे भतीजे हैं (3) शैखुल मशायख हज़रत सय्यद बादशाह मियाँ हलोली (रजी.) गुजरात के एक शहर हलोल के आप मशहूर वली हैं हलोल मैं आप की दरगाह हैं ।
सज्जादानशीन- आप के बाद आपकी मसनद पर आपके साहबजादे बैठे उनका जल्दी विसाल हो गया फिर उन के बाद हज़रत के भतीजे आपकी मसनद पर बैठे उन के विसाल के बाद उन के साहबजादे कुतबे आलम हज़रत सय्यद महमुदुल हसन बादशाह मियाँ सरकार (रजी.) आप की मसनद पर बैठे आप से हजारों करामातें जाहिर हुई जिनको देखने वाले लोग आज भी जिन्दा हैं आप का विसाल आज से 26 साल पहले हुआ आप की दरगाह जोबट जिला झाबुआ मैं हैं
हज़रत का सिलसिला – आप का सिलसिला चिश्तिया निज़मिया फखरिया सुलेमानिया हैं आप के पीरो मुर्शिद का नाम गौसुल आलम हज़रत सय्यदना ख्वाजा सुलेमान तौंसवी (रजी.) हैं ,जो अपने दौर के गौस थे , आपको आपके पीरो मुर्शिद से चिश्तिया सिलसिले के साथ साथ कादरिया सिलसिले की भी खिलाफत हैं ।